यह धर्म यात्रा है। चलकर पूरी करूँगा।”- गाँधी जी के इस कथन द्वारा उनके किस चारित्रिक गुण का परिचय प्राप्त होता है?

गांधीजी ने दांडी यात्रा को धर्म यात्रा का नाम दिया उन्होंने यात्रा पदैल चलकर पूरी करने का निश्चय किया था पर रास्ते बहुत दुर्गम थे तो लोगों ने यात्रा कार से करने का आग्रह किया पर गांधीजी ने कहा यह धर्म यात्रा है। चलकर पूरी करूँगा।”- गांधीजी का यह कथन उनके अटूट साहस, उत्साह और तीव्र लगन का परिचय देता है। गांधीजी अपने वादे के पक्के थे अगर वे किसी कार्य को करने की ठान लेते थे तो उसे पूरा करके ही छोड़ते थे चाहे फिर उनके राह में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आयें| अटूट साहस, उत्साह, सत्यता और अहिंसा का पालन वे जीवन भर करते रहे|


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